उत्तराखंड

पहाड़ का दर्द -ऊँचे नीचे पहाड़ उफनती नदी, जान जोखिम डाल डोली से बीमार महिला को पहुंचाया अस्पताल

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पहाड़ का दर्द -ऊँचे नीचे पहाड़ उफनती नदी, जान जोखिम डाल डोली से बीमार महिला को पहुंचाया अस्पताल ।

रिपोर्टर गौरव गुप्ता।
हल्द्वानी: उत्तराखंड बने 25 साल हो गए लेकिन आज भी कई ऐसे गांव है जो विकास से कोसो दूर है. सरकारे विकास की बड़ी-बड़ी दावे तो करती है लेकिन इसकी हकीकत समय-समय पर पहाड़ों पर देखा जाता है.उत्तराखण्ड में नैनीताल के जिले से एक आत्मा को झकझोर देने वाला वीडियो सामने आया है जहां गांव की एक बीमार बुजुर्ग महिला को डोली से ग्रामीण पहाड़ के ऊंचे-नीचे रास्ते और उफनती नदी पार करते हुए अस्पताल पहुंचाया है. जो सरकार और सिस्टम के व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

नैनीताल जिले में भीमताल के मलुवाताल स्थित कसैला तोक की रहने वाली 66 वर्षीय बीमार महिला गंगा देवी पत्नी चिंतामणि को ग्रामीण डोली के सहारे नजदीकी मोटर मार्ग तक पहुंचाया।

ग्रामीण बीमार गंगा देवी को पहले डोली में घर से नदी तक लाए और फिर उन्होंने अपनी जान पर खेलकर उफनाई गौला नदी पर कराई इसके बाद सड़क मार्ग से गंगा देवी को हल्द्वानी अस्पताल पहुंचाया गया है जहां इलाज चल रहा है.बरसातों के दौरान उफनती नदी को पैदल भारी डोली लेकर पार करना एक जानलेवा चुनौती से कम नहीं थी. कई किलोमीटर पैदल चलकर ये ग्रामीण गंगा देवी को लेकर मोटर मार्ग तक पहुंचे, लेकिन तब तक इनके शरीर के हाल बिगड़ गए. ग्रामीण क्षेत्र की राजनीति करने वाले मनोज शर्मा और पूर्व ग्राम प्रधान दयाकिशन बेलवाल ने बताया कि गांव में किसी की भी अचानक तबीयत बिगड़ने पर उन्हें डोली के सहारे नदी पार पैदल मुख्य मोटरमार्ग तक पहुंचाया जाता है. अभी तक उनका गांव पूरी तरह से पिछड़ा हुआ है गांव को जोड़ने के लिए कोई रास्ता नहीं है बरसातों के समय नदी में अधिक पानी होने के चलते सबसे अधिक परेशानी उठानी पड़ती है।

कई बार तो तत्काल ईलाज नहीं मिलने के कारण प्रसव पीड़ित महिला या अन्य बीमार की मौत या गंभीर बीमारी के शिकार हो जाते हैं. ग्रामीणों के अनुसार वो लंबे समय से सरकार से मोटर मार्ग की मांग करते आ रहे हैं लेकिन उत्तराखंड बनने के 25 साल बाद भी उनके गांव तक पहुंचने के लिए कोई सड़क या कोई पुल नहीं है।

ग्रामीणों के मुताबिक भटेलिया-अमदौ-दुदुली मोटर मार्ग के निर्माण की मांग का प्रस्ताव रखा गया है लेकिन अभी तक इस प्रस्ताव पर कोई विचार नहीं किया गया है. काश्तकारों को भी काफी परेशानी उठानी पड़ती है जहां अपनी उपज को बाजारो तक ले जाने में बड़ी परेशानी होती है।

यही नहीं यहां गांव में पढ़ाई लिखाई करने वाले छात्रों को भी बड़ी परेशानी होती है जहां पढ़ाई करने वाले बच्चों को शहर में रहकर पढ़ाई करनी पड़ती है।

वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि नदी पार करने में केवल बीमार महिला की नहीं बल्कि डोली पकड़ने वाले सभी 6 लोगों की जान को भी भारी खतरा है। ग्रामीणों ने सरकार और शासन से गांव तक सड़क और पुल बनाने की मांग की है जिससे कि गांव के अस्तित्व को बचाया जा सके। ग्रामीणों का कहना है कि हालात ऐसे रहे तो गांव के लोग धीरे-धीरे पलायन कर जाएंगे।


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