उत्तराखंड

ब्रेकिंग -जंगल के बीच शहर का कूड़ा! टांडा रेंज में बढ़ता पर्यावरण संकट, वन विभाग पर उठे सवाल

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लालकुआँ ब्रेकिंग -जंगल के बीच शहर का कूड़ा! टांडा रेंज में बढ़ता पर्यावरण संकट, वन विभाग पर उठे सवाल।

रिपोर्टर गौरव गुप्ता।

लालकुआँ । तराई केंद्रीय वन प्रभाग रुद्रपुर डिवीजन की टांडा रेंज इन दिनों गंभीर पर्यावरणीय संकट की चपेट में है। शहर का कूड़ा खुलेआम जंगल के बीच डाला जा रहा है, जिससे न केवल वन्य जीवों की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है, बल्कि हरे-भरे जंगल का अस्तित्व भी दांव पर लग गया है। नगर पंचायत द्वारा लगातार फेंका जा रहा कूड़ा और वन विभाग की चुप्पी स्थानीय लोगों के बीच नाराजगी और आशंका बढ़ा रही है।

सूत्रों के अनुसार, जवाहर नगर वार्ड नंबर तीन से प्रतिदिन बड़ी मात्रा में कूड़ा सीधे जंगल के भीतर डाला जा रहा है। दो बीघा से अधिक क्षेत्र कूड़े के ढेर में तब्दील हो चुका है। प्लास्टिक, सड़ी-गली सामग्री और जहरीले अपशिष्ट से आसपास के पेड़-पौधे सूख रहे हैं। जंगल की प्राकृतिक वनस्पतियों की जगह अब कूड़े की दुर्गंध और धुएं ने ले ली है।

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि जिस स्थान पर कूड़ा डाला जा रहा है, वहां रोजाना वाहनों के आने-जाने के स्पष्ट निशान मौजूद हैं। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि वन विभाग को इस अवैध गतिविधि की जानकारी कैसे नहीं है? क्या विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से यह कूड़ा निस्तारण हो रहा है?

नियमानुसार बीट इंचार्ज को प्रतिदिन अपनी बीट का निरीक्षण करना अनिवार्य हैऔर दिनभर की रिपोर्ट अपने क्षेत्राधिकारी को देनी होती है किंतु इतनी बड़ी मात्रा में कूड़ा डालने के बावजूद कोई विभागीय अधिकारियों की चुप्पी ने विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए है। जंगल में जमा कूड़ा जंगली जानवरों के लिए भी जानलेवा साबित हो सकता है। कई बार जानवर प्लास्टिक व जहरीले पदार्थ खा लेते हैं, जिससे उनके जीवन पर सीधा खतरा पैदा हो जाता है।

स्थानीय पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि अगर तत्काल इस पर रोक नहीं लगाई गई तो आने वाले समय में यह पूरा इलाका सूखे वनखंड में बदल सकता है। कूड़े से मिट्टी की क्षमता नष्ट हो रही है और भूमिगत जलस्तर भी प्रभावित हो सकता है।

जंगल बचाने की जिम्मेदारी जिनके कंधों पर है, वही यदि आंखें मूंद लें तो यह स्थिति किसी बड़े संकट का संकेत है। अब देखना यह होगा कि वन विभाग और नगर पंचायत इस गंभीर मामले में कब जागते हैं और क्या कदम उठाते हैं।


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